Inbound vs outbound मार्केटिंग मैं क्या अंतर हैं –

inbound and outbound marketing क्या है: यह दोनों ही मार्केटिंग के तरिके हैं। inbound मार्केर्टिंग मैं consumer हमारे पास अपनी जरूरतों को लेकर आता हैं और हम उसकी जरुरत को पूरा करते हैं। इसके विपरीत आउटबाउंड मार्केटिंग मैं हम prospective customer के पास जाते हैं, अपने प्रोडक्ट को सेल कराने।

अगर आपको मार्केटिंग करनी हैं तो ये दो ही तरिके हैं, मार्केटिंग करने के। आप मार्केटिंग ऑनलाइन करें या ऑफलाइन आपको इन दोनों मार्केटिंग के तरीको से ही गुजरना पड़ेगा। आज हम आपको बताएंगे की inbound and outbound marketing क्या है, इन दोनों मैं क्या अंतर हैं, और कोन सी मार्केटिंग बेस्ट हैं।

Inbound and Outbound marketing क्या है-

inbound marketing vs outbound marketing,  Inbound and Outbound marketing क्या है

अगर आपको सीधे शब्दो मैं बताया जाए की इन दोनों मं क्या अंतर हैं, inbound marketing मार्केटिंग करने का एक नया और strategic तरीका हैं, जो ज्यादातर ऑनलाइन माध्यम से किया जाता हैं। और आउटबाउंड मार्केटिंग मार्केटिंग करने का बहुत पुराना तरीका हैं जो कई सालो से चला आ रहा हैं, इस मार्केटिंग को ट्रेडिशनल मार्केटिंग भी कहा जाता हैं।

inbound marketing क्या है –

inbound marketing जो नए तरीको, स्ट्रेटेजी के साथ काम करती हैं। इस मार्केटिंग की सबसे बड़ी खासियत यह हैं, की इस मार्केटिंग मैं हम लोगो के पास अपने प्रोडक्ट को लेकर नहीं जाते लोग हमारे पास अपनी जरूरतों के लिए आते हैं। और हम उनकी जरूरतों को पूरा करते हैं।

example

मान लीजिये की आपको कोई प्रोडक्ट खरीदना हैं, तो आप क्या करंगे, आप प्रोडक्ट लेने से पहले उसके बारे मैं छान – बीन करिगे, मान लीजिए की आप छान बीन करने गूगल पर गए , वो प्रोडक्ट था एक फ़ोन, आपने सर्च किया बेस्ट फ़ोन और कई रिजल्ट्स शो हुए। तो वो रिजल्ट्स सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन के एफर्ट थे, जो-जो वेबसाइट शो हुए उन लोगो ने इनबाउंड मार्केटिंग की थी। तो जरुरत किसकी थी जरुरत थी आपकी । आपको फ़ोन खरीदना था, तो यही इनबाउंड मार्केटिंग हैं।

इनबाउंड मार्केटिंग इसमें मार्केटिंग ज्यादातर ऑनलाइन माध्यम से होती हैं, इसलिए इसे डिजिटल मार्केटिंग भी कहा जाता हैं। और इस मार्केटिंग मैं मार्केटिंग के स्टैट्स हमेशा से ही बेहतर रहे हैं।

inbound marketing के उदाहरण –

  • search engine optimization ( SEO )
  • you tube
  • podcasting
  • webinar
  • optimize social media marketing
  • optimize e-mail marketing
  • content creation

इनबाउंड मार्केटिंग के फायदे –

  • easy to reach- इस मार्केटिंग के जरिये हम लोगो तक बड़ी आसानी से पहुंच सकते हैं।
  • exact targeting – इस मार्केटिंग के जरिये हम exact targeting कर सकते हैं।
  • cost-effective – यह मार्केटिंग बहुत ही कॉस्ट इफेक्टिव रहती हैं,
  • 24/7 promotion- इस मार्केटिंग के जरिये हम किसी भी समय मार्केटिंग कर सकते हैं।
  • better ROI – इसमें हमेसा से ही बेहतर ROI ( retern on investment ) रहा हैं।

outbound marketing क्या है –

outbound marketing इस मार्केटिंग मैं वेंडर प्रोडक्ट को लेकर प्रोस्पेक्टिव कस्टमर के पास जाता हैं। की वो हमारे प्रोडक्ट को ख़रीदेगा। इस मार्केटिंग मैं जो टार्गेटेड ऑडियंस होती हैं वो उतनी करेक्ट नहीं होती, वो संभावित ऑडियंस होती हैं। जिनमे conversion के चान्सेस कम होते हैं।

यह मार्केटिंग एक ट्रेडिशनल मार्केटिंग हैं, जो ज्यादातर ऑफलाइन ही होती हैं। और इस मार्केटिंग मैं रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट ( ROI ) काफी कम होता हैं। इसलिए यह मार्केटिंग धीरे – धीरे ख़तम हो रही हैं।

ऐसा नहीं की ये मार्केटिंग पूरी तरह से ख़तम हो रही हैं, इस मार्केटिंग के एक -दो तरिके हैं जिनका आजकल यूज़ काफी कम होने लगा हैं, उनमे से एक door to door मार्केटिंग भी हैं।

outbound marketing के उदाहरण –

  • TV ADS
  • door to door
  • billboards
  • magazine
  • display ads
  • telemarketing
  • cold call
  • spamming e-mail

आउटबाउंड मार्केटिंग के disadvantages-

  • इस मार्केटिंग के जरिये ब्रांड अवेयरनेस फ़ैलाने मैं दिक्कत होती हैं।
  • यह मार्केटिंग cost – effective नहीं रहती हैं।
  • इस मार्केटिंग के जरिये हम exact targeting नहीं कर सकते।
  • इस मार्केटिंग के जरिये lead generation नहीं हो पाता।

निष्कर्ष –

आज हमने इस आर्टिकल मैं इनबाउंड & आउटबाउंड मार्केटिंग एक बारे मैं जाना। जैसे – inbound vs outbound marketing क्या है, इनबाउंड मार्केटिंग के उदाहरण, आउटबाउंड मार्केटिंग के उदाहरण, इनबाउंड मार्केटिंग के फायदे, आउटबाउंड मार्केटिंग के disadvantage. इतियादी।

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